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30 Sep, 2024 by Alok Mulatkar
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हिंदू संस्कृति में हम दोनों हाथ जोड़कर एक-दूसरे को नमस्कार मुद्रा में संबोधित करते हैं। ऐसे में किसी को प्रणाम करने को शास्त्रों में विशेष महत्व दिया गया है। इतना ही नहीं, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी नमस्कार करने के कई फायदे हैं। तो आइए जानते हैं नमस्कार का क्या महत्व है और इसके क्या फायदे हैं।
* कब किया जाता है नमस्ते हिन्दू धर्म में किसी से मिलते समय या विदाई लेते समय हम एक-दूसरे के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए हाथ जोड़कर एक-दूसरे को नमस्कार करते हैं। नमस्ते के माध्यम से एक-दूसरे के प्रति विनम्रता भी व्यक्त की जाती है। नमस्कार भक्ति, प्रेम, सम्मान और विनम्रता जैसे दिव्य गुणों की एक सरल और सुंदर अभिव्यक्ति है जो व्यक्ति को दिव्य ऊर्जा प्रदान करती है। नमस्कार जैसे धार्मिक कृत्य (धार्मिक कृत्य) के पीछे के आध्यात्मिक विज्ञान को समझने से इस धार्मिक कृत्य में आस्था को और मजबूत करने में मदद मिलती है। * नमस्कार का आध्यात्मिक महत्व हमारा शरीर दो भागों में बंटा हुआ है, जिसमें दायां भाग इड़ा और बायां भाग पिंडली कहलाता है। ऐसे में नमस्कार करते समय इड़ा और पिंगला नाड़ी आपस में विलीन हो जाती हैं, जिससे शरीर में आध्यात्मिकता का भी विकास होता है। किसी को नमस्कार करने से न सिर्फ घनिष्ठता बढ़ती है बल्कि इससे आपके रिश्ते भी मजबूत होते हैं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब आप हाथ जोड़कर किसी का अभिवादन करते हैं तो सामने वाला आपको लंबे समय तक याद रख पाता है। हमारे दोनों हाथ आचरण और विचार से जुड़े हुए हैं। यहां आचरण का अर्थ धर्म और विचार का अर्थ दर्शन है। ऐसे में दोनों हाथों को एक साथ जोड़कर नमस्कार करने का मतलब है कि इससे आपके धर्म और दर्शन दोनों में संतुलन बना रहता है। * नमस्कार का वैज्ञानिक महत्व हाथ जोड़कर नमस्कार करने के पीछे वैज्ञानिक महत्व भी है। जिसके अनुसार, इससे हृदय चक्र और आज्ञा चक्र सक्रिय हो जाते हैं और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी तेजी से होने लगता है। जिससे व्यक्ति को मानसिक शांति का अनुभव होता है। जब हम हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं तो इससे हमारे शरीर में चेतना आती है, जिससे हमारी याददाश्त भी बढ़ती है। ऐसा माना जाता है कि नमस्कार मुद्रा से क्रोध पर नियंत्रण रखने की क्षमता भी बढ़ती है, जिससे व्यक्ति का स्वभाव अधिक विनम्र हो जाता है।