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श्री गंगा आरती

19 Sep, 2024 by Alok Mulatkar

नमामि गंगे ! तव पाद पंकजम्,
सुरासुरैः वंदित दिव्य रूपम् ।
भक्तिम् मुक्तिं च ददासि नित्यं,
भावानुसारेण सदा नराणाम् ॥

 

हर हर गंगे, जय माँ गंगे,
हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥

ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥

चंद्र सी जोत तुम्हारी,
जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी,
सो नर तर जाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

एक ही बार जो तेरी,
शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर,
परमगति पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

आरती मात तुम्हारी,
जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में,
मुक्त्ति को पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥

ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।