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14 Oct, 2024 by Acharya Ajit
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आयुध पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत और देवी दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर के विनाश के उत्सव का प्रतीक है। इसे नवरात्रि उत्सव के हिस्से के रूप में मनाया जाता है। आयुध पूजा के लिए, देवी सरस्वती, पार्वती माता और लक्ष्मी देवी को पूजा जाता है। दक्षिण भारत में विश्वकर्मा पूजा के समान लोग अपने उपकरणों और शस्त्रों की पूजा करते हैं। यह त्योहर मुख्य रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में होती हैं।युध पूजा / शस्त्र पूजा : शनिवार, 12 अक्टूबर 2024 विजय मुहूर्त : 2:03pm - 2:49pm आयुध पूजा क्या है? ❀ 'अस्त्र पूजा' के रूप में भी जाना जाता है, यह वह दिन है जब लोग अपने द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरणों, हथियारों, मशीन, उपकरण आदि की पूजा और सफाई करते हैं। ❀ ये उपकरण पिन, चाकू या स्पैनर के साथ-साथ कंप्यूटर, भारी मशीनरी, कार और बसों जैसे बड़े उपकरणों के रूप में छोटे हो सकते हैं। ❀ दक्षिण भारत में, सरस्वती पूजा के साथ-साथ आयुध पूजा भी मनाई जाती है। कैसे मनाया जाता है आयुध पूजा? ❀ इस दिन सभी यंत्रों की अच्छी तरह से सफाई कर उनकी पूजा की जाती है। कुछ भक्त देवी का आशीर्वाद लेने और उनके द्वारा हासिल की गई जीत को चिह्नित करने के लिए अपने उपकरण देवी के सामने रखते हैं। ❀ औजारों और वाहनों पर हल्दी और चंदन का मिश्रण लगाया जाता है। कुछ लोग इन चीजों को फूलों से भी सजाते हैं। ❀ छात्र देवी सरस्वती की पूजा करते समय अपने अध्ययन सामग्री रखकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। आयुध पूजा आध्यात्मिक और दार्शनिक अर्थ आध्यात्मिक गुरुओं और विशेषज्ञों के अनुसार यंत्रों और शस्त्रों की पूजा करने से तृप्ति की अनुभूति होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अपने पास मौजूद चीजों के प्रति श्रद्धा दिखाता है, तो यह उन्हें ब्रह्मांड के साथ सामंजस्य स्थापित करता है।